पुलवामा
देश हुआ आंदोलित फिर से पुलवामा के घावों से
मन द्रवित हुआ और आँसू टपका बारी बारी घावों से
आज आसमा रोया फिर से धरती रोई अपने लालों पे ,
भारत देश हर कोना रोया भारत माँ के दुलारो पे
स्वर्ग हुआ है लज्जित फिर से, अपने घर के कपूतो से,
मै भी लज्जित तुम भी लज्जित "भारत टुकड़े वाले" लोगो से
हे भारत के संविधान जी लिखता एक शिकायत तुमको
जूता मार के ख़तम करो इन पाकिंस्तानी सरपरस्तों को
बहुत हुआ अब नहीं सहेंगे, जाना भारत माँ के लालों का
क़त्ल करो अब जल्दी जल्दी, इन सीमपार हत्यारो का,
ये खादी वालो जरा तुम इज्जत रख लो खाकी की,
आपस का तुम द्वेष भुला दो रख लो इज्जत माटी की,
नहीं चाहिए मंदिर मस्जिद पहले देश सजोना है,
अबकी ढंग से समझा दो क़ि हमारा कश्मीर का कोना कोना है |
विधवा पत्नी की चीत्कार, अब बार बार ये करे पुकार ,
इस बार करो तुम अक्कटया प्रहार
हमें भी है अब तो घाटी में "नवीन" सुबह का इन्तजार |
No comments:
Post a Comment