Saturday, March 31, 2012

क्या यही प्रगति की परिभाषा है?

क्या यही प्रगति की परिभाषा है?
क्या यही हमारी आशा है ।

वन बाग़ बगीचे नाश किया
पेंड़ो का खूब संहार हुआ,
हरयाली को भी स्वप्न किया
कंक्रीट का जंगल खड़ा किया।
क्या यही प्रगति की परिभाषा है?

प्राण वायु को दूषित कर,
आगे बदने की अभिलाषा है,
जिस औदोगिक्ता की आंधी में,
जीवन विनाश की आशा है
क्या यही प्रगति की परिभाषा है?

हर जगह रसायन मिला रहे,
जहर दूध में हम पिला रहे ।
छाछ मलाई छोड़ के हम
पेप्सी कोला अपनाते है ।
क्या यही प्रगति परिभाषा है ?

क्या ये नवयुग की आशा है ?
क्या यही प्रगति परिभाषा है ?

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